हमारे शरीर के अन्दर कई तरह के किटाणुओं और सूक्ष्म जीवों का वास है। और इसी तरह अरबों की तादाद में कई तरह के किटाणु हमारे पेट में भी पाये जाते है। इसलिए वैज्ञानिक हमारे पेट को शरीर का एक अलग हिस्सा मानतें है। तो क्या हमारे पेट में पलने वाले ये किटाणु हमारी अच्छी सेहत का राज बताते हैं। खैर इन नन्हें जीवों को माइक्रोबायोम कहा जाता है।
माना जाता है, कि इंसान के मोटे होने में उसके जीन का बहुत बड़ा हाथ होता है। और इसी तरह हमें जो बीमारियां होती है। उनमें भी हमारे जीन्स का ही एक महत्वपूर्ण योगदान होता है।
हमारे पेट में पल रहे इन किटाणुओं के कारण ही कुछ लोग अपने खाने को अच्छी तरह से पचा पाते हैं, और कुछ लोग नहीं पचा पाते हैं। ब्रिटेन में काम करने वाली एक एसोसिएट प्रोफेसर के अनुसार हमारे रोजमर्रा के खाने में उपस्थित एन्जाइम और कैलोरी को ये किटाणु खा लेतें है। और ये किटाणुओं के साथ-साथ हमारे लिए भी फायदेमंद रहता है। अगर हम कम कैलोरी वाला खाना खातें है, और वजन घटाने की कोशिश करतें हैं तो उसका गंदा असर पड़ता है।
एक रिसर्च पर अगर नजर डाले तो अगर हम ज्यादा रेशेदार फल और सब्जियाँ खाये तो हमारे पेट के भीतर कई तरह किटाणुओं की ज्यादा नस्लें उपजेगीं।
ताजा हुई रिसर्च के अनुसार क्राइस्टेनसेनेलेसी, एक ऐसा जीवाणु हैं जो दुनिया के लगभग 97 लोगों में पाया जाता हैं। लेकिन इसकी मात्रा पतले लोगों में ज्यादा देखी गयी है।